वास्तु शास्त्र

क्या है वास्तुशास्त्र, कैसे आपको पहुंचाता है लाभ?

वास्तु एक संस्कृत शब्द है जिसका अर्थ है वास: (Live) तू: आप, वह स्थान जहां आप रहते हैं या निवास करते हैं। शास्त्र का अर्थ है वह पाठ जिसमें ज्ञान या निर्देश हों। सीधे शब्दों में कहें तो वास्तु शास्त्र का अर्थ है एक संरचना के निर्माण के लिए निर्धारित निर्देश।

सरल शब्दों में कोई कह सकता है कि वास्तु शास्त्र हमारे जीवन को समृद्ध बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है जिसकी सहायता से हम अपने घरों, कार्यालयों, मंदिरों, शैक्षणिक संस्थानों आदि को दिशा-निर्देशों के अनुसार इस तरह से बना सकते हैं कि यह भर जाए सफलता और समृद्धि के साथ हमारा जीवन। आज के समय में इसका प्रयोग वास्तु के क्षेत्र में विशेष रूप से किया जाता है।


वास्तु शास्त्र का महत्व

जब भी हम कोई घर या दुकान बनाते हैं, तो हमें कुछ महत्वपूर्ण पहलुओं पर विशेष ध्यान देने की आवश्यकता होती है, जिससे हम अपने जीवन को समृद्ध कर सकते हैं और विभिन्न समस्याओं और मुद्दों से छुटकारा पा सकते हैं। वास्तु शास्त्र हमें कार्यालय या घर का निर्माण करते समय पैटर्न की पहचान करने में मदद करता है और ज्योतिष के छंदों के माध्यम से वास्तु विज्ञान का वर्णन करता है।

जब भी हम किसी भवन के निर्माण की योजना बनाते हैं, तो वह सभी पांच तत्वों (वायु, जल, पृथ्वी, अग्नि और आकाश) से प्रभावित होता है। इन तत्वों के बीच थोड़ा सा असंतुलन हमारे जीवन में नई समस्याएं पैदा कर सकता है। साथ ही ऐसे स्थान पर रहना या काम करना जहां तत्वों में असमानता हो, हम पर प्रतिकूल प्रभाव डाल सकता है।

वास्तु शास्त्र का महत्व प्राचीन अग्नि पुराणों, मत्स्य पुराण, रामायण, महाभारत, भगवद गीता आदि में सुना और देखा जा सकता है। इसके अलावा, महर्षि वशिष्ठ, कश्यप, गर्ग, अत्रि, और इंद्र, विश्वकर्मा जैसे प्रसिद्ध संतों और वासुदेव ने इस उपकरण को व्यापक रूप से बोला और पहचाना है।

इस विज्ञान के तहत 10 अलग-अलग दिशाओं को ध्यान में रखा जाता है। उत्तर, दक्षिण, पूर्व और पश्चिम प्रमुख दिशाएँ हैं। इसके अलावा, विदिशाएं नामक चार कोणीय या सहायक दिशाएं हैं, जो उत्तर पूर्व, उत्तर पश्चिम, दक्षिण पूर्व और दक्षिण पश्चिम हैं। सूची में जोड़ने पर आकाश (आकाश) और भूमिगत (पाताल) हैं, जिससे यह कुल 10 हो जाता है। भूखंड के केंद्र को ब्रह्म स्थान के रूप में जाना जाता है।


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वास्तु शास्त्र
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वास्तु शास्त्र के अनुसार दिशाओ का महत्व्व
  • उत्तर दिशा :वास्तु के अनुसार इसके देवता धन के कुबेर तथा ग्रह स्वामी बुध देव को माना जाता है। इसे माता का स्थान का माना जाता है, यानि अगर इस दिशा में वास्तु दोष उत्पन्न हो तो घर में माता को स्वास्थ्य संबंधी परेशानियां होती हैं। इसलिए कहा जाता है इसी दिशा को खाली रखना बेहद ज़रूरी होता है।
  • ईशान कोण :मान्यता है कि इस दिशा में जल एवं भगवान शिव का स्थान हैं तथा गुरु ग्रह ईशाण दिशा के स्वामी कहलाते हैं। बता दें घर की इस दिशा में पूजा घर, मटका, कुंवा, बोरिंग वाटरटैंक अदि का स्थान बनाना अच्छा होता है।
  • पूर्व दिशा :वास्तु विशेषज्ञ बताते हैं कि इस दिशा के स्वामी सूर्य व इंद्र देवता होते हैं। तो वहीं इसे पितृस्थान का प्रतीक माना जाता, जिसका खुला होना अति आवश्यक होता है।
  • आग्नेय कोण :आग्नेय कोण को अग्नि एवं मंगल का स्थान कहा जाता है तथा शुक्र ग्रह को इस दिशा का स्वामी कहते हैं। इस दिशा के अंतर्गत रसोई या इलैक्ट्रॉनिक उपकरण हो सकते हैं।
  • दक्षिण दिशा :ज्योतिष शास्त्र के साथ-साथ वास्तु में बताया गया है कि इस दिशा में काल पुरुष का बायां सीना, किडनी, बाया फेफड़ा, आतें हैं एवं कुंडली का दशम घर है। यम के आधिपत्य एवं मंगल ग्रह के पराक्रम वाली दक्षिण दिशा पृथ्वी तत्व की प्रधानता वाली दिशा है। इसलिए इस दिशा का भारी होना ज़रूरी है।
  • नैऋत्य कोण :इसमें पृथ्वीइ तत्व का स्थान हैं और इसके स्वामी राहु और केतु है। इस दिशा का ऊंचा और भारी होना आवश्यक होता है। तो वहीं यहां टीवी, रेडियो, सी.डी. प्लेयर अथवा खेलकूद का सामान रका जा सकता है। इसके अलावा नैऋत्य के साथ-साथ दक्षिण में अलमारी, सोफा, मेज, भारी सामान तथा सुरक्षित रखे जाने वाला सामान रख सकते हैं।
  • पश्चिम दिशा :वास्तु शास्त्र बताते हैं कि इस दिशा के देवता वरूण और ग्रह स्वामी शनि माने जाते हैं। इस दिशा में जो भी सामान रखा हो उसका वास्तु के अनुसार होना ज़रूरी होता है।
  • वायव्य कोण :आखिर में बारी आती है वायव्य दिशा की। यहां वायु का स्थान होता है और इसके स्वामी ग्रह चंद्र होते हैं। इस दिशा में खिड़की, उजालदान आदि का स्थान बनाया जा सकता है।

यह सारी जानकारी पढ़ कर आपको कुछ समझ आया हो या नहीं, लेकिन इतना तो पता चल गया होगा कि वास्तु शास्त्र आपकी ज़िन्दगी, आपके घर और आपके लिए बहुत महत्वपूर्ण है इसीलिए यह काम आप Kundali Horoscope के एक्सपर्ट्स पर छोड़ दें, जो आपको कुंडली के हिसाब से और सारी गणनाएँ कर के आपको वास्तु से जुडी जानकारी देंगे |

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